राहुल ने महाराष्ट्र चुनाव को लेकर बोला हमला, कहा- चुनाव आयोग? चुप या मिलीभगत

नई दिल्ली। एक बार फिर राहुल गांधी के एक पोस्ट ने हंगामा मचा दिया है। इस पोस्ट में दावा किया गया है कि महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस की सीट, नागपुर साउथ वेस्ट में पिछले 6 महीनों में 29,219 नए वोटर जोड़े गए हैं। ये 8.25% की बढ़ोतरी है, जो चुनाव आयोग के अपने 4% की थ्रेशोल्ड से दोगुनी है। राहुल ने इसे "वोट चोरी" का नाम दिया है, और साथ में डिजिटल वोटर रोल्स और CCTV फुटेज की मांग भी कर दी है।
राहुल गांधी लंबे वक्त से "ईवीएम हैकिंग" और "चुनावी धांधली" की बात करते रहे हैं। लेकिन इस बार बात थोड़ी अलग है। एक रिपोर्ट का हवाला देकर उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस की सीट, नागपुर साउथ वेस्ट में पिछले 6 महीनों में 29,219 नए वोटर जोड़े गए हैं, यानी हर दिन औसतन 162 नए वोटर।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा-
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के अपने निर्वाचन क्षेत्र में, मतदाता सूची में केवल 5 महीनों में 8% की वृद्धि हुई।
कुछ बूथों पर 20-50% की वृद्धि देखी गई।
बीएलओ ने अज्ञात व्यक्तियों द्वारा वोट डालने की सूचना दी।
मीडिया ने बिना सत्यापित पते वाले हजारों मतदाताओं का पता लगाया।
और चुनाव आयोग? चुप - या मिलीभगत।
ये अलग-अलग गड़बड़ियाँ नहीं हैं।
यह वोट चोरी है।
कवर-अप ही कबूलनामा है।
इसलिए हम मशीन-पठनीय डिजिटल मतदाता सूची और सीसीटीवी फुटेज को तुरंत जारी करने की मांग करते हैं।
पोलिंग स्टाफ ने भी खुलासा किया है कि कई जगहों पर ऐसे वोटर मिले जिनके पते तक सही नहीं थे। शेयर की गई रिपोर्ट में तो हज़ारों वोटरों के गायब पते का भी ज़िक्र है। अब सवाल उठता है कि आखिर ये वोटर कहां से आ गए? क्या ये कोई सुनियोजित तरीके से वोटर लिस्ट में हेराफेरी का हिस्सा है? और अगर हां, तो इसमें बीजेपी का हाथ है या नहीं? क्योंकि फडणवीस तो इसी सीट से चुनाव लड़ते हैं, और उनकी जीत का सीधा असर बीजेपी की सत्ता पर पड़ता है।
एंकर- देवेंद्र फडणवीस बीजेपी के बड़े नेता हैं और संघ से भी उनका पुराना ताल्लुक है। उनकी "मिस्टर क्लीन" वाली इमेज ने उन्हें पार्टी में ऊंचाइयों तक पहुंचाया। लेकिन अब लोग पूछ रहे हैं कि क्या ये इमेज सिर्फ एक दिखावा है? अगर वोटर लिस्ट में इतनी बड़ी गड़बड़ी हुई, तो क्या बीजेपी ने अपनी सत्ता बचाने के लिए ये चाल चली? राहुल गांधी ने तो साफ-साफ कहा कि ये वोट चोरी (vote theft) है.. इतना ही नहीं, कुछ यूजर्स ने 2019 के चुनावों का हवाला भी दिया, जब नागपुर में 15,000 डुप्लिकेट वोटर मिले थे। क्या ये एक पैटर्न है? क्या बीजेपी हर बार चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को अपने हक में मोड़ने की कोशिश करती है?
अब बात आती है चुनाव आयोग की। जब पोलिंग स्टाफ और मीडिया खुद गड़बड़ियों की बात कर रहे हैं, तो इस पर आयोग की चुप्पी सवाल खड़े करती है? चुनाव आयोग की गाइडलाइंस कहती हैं कि 4% से ज्यादा की वोटर बढ़ोतरी पर जांच होनी चाहिए, लेकिन यहां 8.25% की बढ़ोतरी हुई और कोई कार्रवाई नहीं! क्या ये चुप्पी इसलिए है क्योंकि बीजेपी सत्ता में है और आयोग पर दबाव है? कई लोग तो ये तक कह रहे हैं कि क्या ECI अब बीजेपी का मोहरा बन गया है? राहुल गांधी ने डिजिटल वोटर रोल्स और CCTV फुटेज जारी करने की मांग की है, ताकि सच्चाई सामने आए। लेकिन आयोग की खामोशी से लगता है कि वो इस मांग से बचना चाहता है।
अगर वोटर लिस्ट में हेराफेरी सच है, तो इसका मतलब है कि लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोग कार्टून्स और मीम्स शेयर कर रहे हैं, जिसमें चुनाव आयोग को बीजेपी का पपेट दिखाया जा रहा है। एक यूजर ने लिखा, "डेमोक्रेसी इन डेंजर... वो ट्रांसपेरेंसी मांग रहे हैं!" दूसरा यूजर बोला, "ECI अब बीजेपी HQ से ऑपरेट हो रहा है क्या?"
पिछले कुछ सालों में महाराष्ट्र की सियासत में कई बार हेराफेरी के आरोप लगे हैं। 2019 का राजनीतिक संकट और फिर 2024 के चुनाव – हर बार वोटिंग प्रोसेस पर सवाल उठे हैं।क्या ये सब एक इत्तेफाक है या किसी साजिश का हिस्सा? विदेशी स्टडीज (जैसे Journal of Elections, Public Opinion and Parties, 2019) बताती हैं कि 5% से ज्यादा की वोटर बढ़ोतरी राजनीतिक दखल का संकेत हो सकती है। तो क्या ये मामला भी उसी दिशा में जा रहा है?
ये मामला सिर्फ राजनीति का खेल नहीं, बल्कि वोट की ताकत का भी सवाल है। बीजेपी को चाहिए कि वो इन आरोपों का जवाब दे, और चुनाव आयोग को चाहिए कि वो अपनी निष्पक्षता साबित करे।