बिहार में इस बार अपने दम पर चुनाव लड़ेगी जेएमएम, राजद पर साधा निशाना

बिहार में इस बार अपने दम पर चुनाव लड़ेगी जेएमएम, राजद पर साधा निशाना
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झारखंड मुक्ति मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि वह बिहार विधानसभा चुनाव में इंडी गठबंधन से अलग स्वतंत्र राजनीतिक दल के रूप में मैदान में उतर सकता है

रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि वह बिहार विधानसभा चुनाव में इंडी गठबंधन से अलग स्वतंत्र राजनीतिक दल के रूप में मैदान में उतर सकता है। पार्टी के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने सोमवार को पार्टी कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए कहा कि बिहार में हमारा अपना संगठन है और हम अपने बूते उतरने को तैयार भी हैं।

दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों और सीटों के बंटवारे को लेकर इंडिया गठबंधन ने हाल में दो बैठकें आयोजित की थीं, लेकिन इसके लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा को कोई आमंत्रण नहीं मिला।

इस संबंध में मीडिया के सवाल पर झामुमो के महासचिव ने कहा, “वे हमें नहीं बुला रहे हैं तो हम जबरदस्ती वहां घुसने भी नहीं जा रहे। हमारी स्वतंत्र पहचान है और यह निश्चित है कि हम वहां अपनी शक्ति प्रदर्शित करेंगे।”

भट्टाचार्य ने कहा कि कांग्रेस और राजद को हम बता देना चाहते हैं कि झारखंड में हमने उन्हें अपने साथ रखा और उचित सम्मान दिया। पिछले विधानसभा चुनाव में राजद को झारखंड में मात्र एक सीट पर जीत मिली थी, लेकिन हमने उनके इकलौते विधायक को पूरे पांच साल तक मंत्रिमंडल में बनाए रखा। ऐसा इसलिए, क्योंकि हम चुनाव मैदान में एक साथ उतरे थे और हमें गठबंधन धर्म का पूरा ख्याल था। यही गठबंधन धर्म कांग्रेस और राजद को बिहार में दिखाना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के हाल में हुए महाधिवेशन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर ओडिशा, बिहार और देश के दूसरे राज्यों में संगठन के विस्तार का संकल्प लिया गया था। झारखंड मुक्ति मोर्चा इसके पहले भी बिहार विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारता रहा है। 2010 में चकाई विधानसभा सीट पर झामुमो के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। पार्टी ने इस बार बिहार में झारखंड से सटी 12 विधानसभा सीटों को चिह्नित किया है, जहां उसका प्रभाव है। इन सीटों में तारापुर, कटोरिया, मनिहारी, झाझा, बांका, ठाकुरगंज, रूपौली, रामपुर, बनमनखी, जमालपुर, पीरपैंती और चकाई की सीटें शामिल हैं।

पार्टी का मानना है कि इन इलाकों में आदिवासी समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। इन क्षेत्रों में उसकी आदिवासी हितों की नीतियां और झारखंड में किए गए कार्य मतदाताओं को आकर्षित कर सकते हैं। झामुमो ने पहले ही इन सीटों पर स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें शुरू कर दी हैं।

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