हिमाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी

शिमला। मूसलाधार बारिश को लेकर मौसम विभाग (आईएमडी) ने हिमाचल प्रदेश के मंडी, कुल्लू, कांगड़ा और शिमला सहित कई जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
मौसम विभाग ने कहा है कि अगले 48 घंटों में कुछ इलाकों में भारी से बहुत भारी बारिश, गरज के साथ छींटे और बिजली चमकने का अनुमान है। इसके कारण बचाव एवं राहत अभियान में बाधा उत्पन्न हो सकती है। मंडी जिला तबाही का केंद्र बना हुआ है। जिले में बारिश से संंबंधित घटनाओं में अब तक सबसे ज़्यादा मौतें हुयी हैं। राज्य आपदा प्रतिक्रिया केंद्र के अनुसार 20 जून से अब तक 98 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें हाल ही में एक सड़क दुर्घटना में दो लोगों की मौतें भी शामिल हैं।
वहीं, 34 लोग अभी भी लापता हैं, जबकि 156 घायल हुए हैं। बादल फटना, भूस्खलन और अचानक बाढ़ मौत और विनाश के मुख्य कारण रहे हैं।
लगातार हो रही बारिश और बार-बार भूस्खलन के कारण राहत कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। मंडी-पंडोह और तलेली-त्रिफालघाट मार्ग सहित प्रमुख सड़कें अभी भी अवरुद्ध हैं, जबकि कई संपर्क सड़कें हल्के मोटर वाहनों के लिए मुश्किल से ही चलने योग्य हैं।
खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टर सेवा भी बाधित हुयी हैं, जिससे हवाई सहायता और निकासी में देरी हो रही है। मंडी पुलिस ने कहा है कि भूस्खलन के जोखिम के कारण कई सड़कों पर आवाजाही प्रतिबंधित है।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), एसडीआरएफ और भारतीय सेना की बचाव टीमें राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हुयी हैं, लेकिन बाढ़ और बादल फटने से प्रभावित क्षेत्रों में उन्हें आवश्यक सेवाओं को बहाल करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
राज्य भर में 15 से ज़्यादा पुल और सैकड़ों सड़कें क्षतिग्रस्त हो गयी हैं। युद्धस्तर पर जारी बहाली कार्य के कारण लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग और बिजली बोर्ड के कर्मचारियों की छुट्टियाँ रद्द कर दी गयी हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू केंद्र सरकार से विशेष सहायता लेने के लिए नयी दिल्ली पहुँचे हैं। राज्य सरकार ने 2023 की मानसून आपदा के बाद से अपर्याप्त केंद्रीय सहायता पर असंतोष व्यक्त किया है।
वहीं, राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर के निर्वाचन क्षेत्रों को इस नुकसान का सबसे ज़्यादा ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ा है, जिसके कारण केंद्र सरकार इस बार ज़्यादा निर्णायक कार्रवाई करने के लिए मजबूर हो सकती है।
इस बीच, अधिकारियों ने नागरिकों और पर्यटकों से भूस्खलन-प्रवण, पहाड़ी और नदी तटीय क्षेत्रों में जाने से बचने और आधिकारिक सलाह का सख्ती से पालन करने का आग्रह किया है।